Sunday 29 January 2012

महिमा कुत्ते की: बाबा ताड़ीवाला



  नवाब अब्दुर्रहीम खान खाना मध्यकालीन भारत के एक महान कवि थे. एक दोहे में  उसने कहा है:
 रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत,
 काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत !
  अर्थात, कवि रहीम कहते हैं कि जैसे कुत्ते का काटना और चाटना, दोनों ही मनुष्य के लिए हानिकारक है, ठीक वैसे ही ओछे व्यक्तियों से मित्रता और दुश्मनी, दोनों ही भली नहीं है.
     रहीम अकबर के समय थे, रहीम के दोहे से स्पष्ट है कि उन दिनों भी कुत्तों को हेय दृष्टि से देखा जाता था. इसके बाद अंग्रेज यहाँ आये. उनके राज  में तो वे हिंदुस्तानियों को इंडियन डॉग कह कर उनका तिरष्कार करते थे. अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अपनी अंग्रेजियत यहाँ छोड़ गए. फलस्वरूप यहाँ के अमीर लोगों ने अंग्रेजी यानि कि विदेशी कुत्तों को ही पालना शुरू किया, जैसे  एल्शेसियन, डोबरमेंन, स्पेनियल, बुलडॉग.लेब्राडोर इत्यादि. वे उन्हें हेय-दृष्टि से नहीं देखते; बल्कि  इन्हें पालना अब शान की बात समझी जाने लगी.है. उनका नाम भी वे अंग्रेजी में ही रखना पसंद करते हैं, जैसे टॉमी, टाइगर, जिमी इत्यादि इत्यादि. हिंदी के महान कथाकार प्रेमचंद ने अपनी एक उकृष्ट कहानी "पूस की रात में" कुत्ते का नाम "जबरा" रखा था, लेकिन भूरे साहबों को अब इस तरह के नाम रास नहीं आते !..... और तो और, उन्हें अंग्रेजी आये न आये, वे कुत्तों से अंग्रेजी में ही बातें करते हैं, टॉमी, कम, गो, टॉमी सीट डाउन. वगैरह वगैरह. उन्हें कुत्ता नहीं, बल्कि डॉगी कहा जाता है.
   इस सन्दर्भ में ये भी एक गौर करने वाली बात है कि आम हिन्दुस्तानी मुख्यतः तीन परिस्थिति में अंग्रेजी में बात करता है; प्रथम जब वह नशे में होता है, दूसरा, जब वह क्रोधित होता है  और तीसरा, जब वह अपने कुत्ते से बात करता है !
     ये विदेशी कुत्ते बड़े ही भाग्यशाली होते हैं उन्हें बिस्किट और डॉग-फ़ूड खिलाया जाता है, जूठन खाना उनके शान के खिलाप है. उन्हें शेम्पू से नहलाया जाता है, और ब्रश या कंघी किया जाता है. वे कालीन में सोते हैं. उनके गले में महंगे चमड़े की पट्टी बंधी रहती है उसमे लगे कीमती चेन को पकड़कर अमीर बुज़ुर्ग ट्रेक-सूट पहन कर उन्हें सुबहो-शाम पार्क में या सडकों में घुमाने ले जाते हैं और उन्हें नित्य-क्रिया से निवृत कराते हैं. अमीर लोगो की पत्नियाँ और लड़कियां छोटे-छोटे खूबसूरत अंग्रेजी कुत्तों को गोद में लेकर पुचकारती, दुलारती रहती हैं. उन्हें क्लबों या फेशन शो में ले जाते है. उनके बच्चे लॉन में इन कुत्तों के साथ खेलते हैं और छोटी-छोटी गेंदे दूर-दूर  फेंकते हैं. ये डॉगी बड़ी तत्परता के साथ उन्हें अपने मुंह में दबा कर उनके पास ले आते हैं. कुछ डॉगी तो  सुबह गेट के पास फेंके गए अखबार भी अपने मालिकों तक पहुंचा देते हैं.
   लेकिन जो भी हो, इन अंग्रेजी कुत्तों की प्रवृति अपने अमीर मालिकों जैसी ही काटखाऊ होती है. उनके कोठियों के गेट के सामने अक्सर बोर्ड दिख जाता है, जिसमें लिखा रहता है, कुत्ते या कुत्तों से सावधान. उसे देख कर बाबा हमेशा ही सावधान हो जाता है, लेकिन कुत्तों से नहीं, बल्कि उनके मालिकों से ! क्योंकि, उनकी पहुँच बहुत ही ऊँची-ऊँची जगहों पर होती है और वे कुछ भी कर सकते है, या औरों से करवा सकते हैं !
     अंग्रेजी या बिदेशी कुत्तों की खाशियत ये भी है कि वे जासूसी भी कर लेते हैं. इनकी घ्राण-शक्ति बहुत ही तेज होती है. सूंघकर चोरों या अपराधियों को पकड़ना, चरस, गांजा, भांग या बम का पता लगाना उनके गुणों में शुमार है.पता नहीं क्यों हमारी सरकार आये दिन हो रहे घोटालों का पर्दाफाश करने के लिए इन विदेशी कुत्तों की सहायता नहीं लेती !
   इसके अलावा एस्कीमों, उत्तरी ध्रुव  में गवेषणा करने वाले  वैज्ञानिकों या साहसिक अभियानों में जाने वाले यात्रियों की गाडियां (sled या sledge) कुत्ते ही खींचते हैं. विदोशों में वे अंधे व्यक्तियों को रास्ता भी दिखाते है. २२ जुलाई, सन् १९५१ में तो रूसियों ने दो कुत्तों को अंतरिक्ष भेज दिया था और वे प्रथम प्राणी थे जो सकुशल जीवित धरती पर लौट आये थे. उनके पहले भेजे गए बन्दर उतने सौभाग्यशाली नहीं थे.
   ये तो रही विदेशी अंग्रेजी कुत्तों की बातें. अब रही देशी कुत्तों की बातें ! हमारे देशी कुत्ते उनके जैसे शौभाग्यशाली नहीं है. उन्हें सिर्फ गांवों में ही पाला जाता है, और उन्हें खुला ही रखा जाता है क्योंकि वे सिर्फ  भौंकते हैं काटते नहीं.खतरा देखते ही वे दुम दबा कर  भाग खड़े होते हैं. कुत्ते की नींद बहुत कच्ची होती है और जरा सी आहट पर वे चौक कर उठ जाते हैं और बेतहाशा भौंकने लगते है.  हाँ, अंग्रेजी कुत्तों की तरह ही इनकी भी अपने मालिकों के प्रति वफादारी बेमिसाल है. लेकिन ये बेचारे जूठन या बची-खुची हुई भोजन पर ही गुजारा कर लेते हैं
     शहरों में कुत्ते गलियों में रहते है और कहा जाता है कि अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है. फिर भी इसे एक तुच्छ प्राणी के रूप में ही देखा जाता है. इस प्राणी पर मनुष्य द्वारा बनाये गए मुहावरों से यह साफ़ जाहिर होता है. जैसे कुत्ते की दुम हमेशा टेढ़ी ही रहती है,. "दुम दबा कर भागना". “कुत्ते की तरह दुम हिलाना या तलवे चाटना”, हाथी चले बाजार, कुत्ते भौंके हज़ार, कुत्ते की मौत मरना या मारना,” गली के कुत्ते. इत्यादि इत्यादि. गधे और सूकर ही दो अन्य प्राणी हैं, जिन्हें तुच्छ समझा जाता है.
   साधारणतः देशी कुत्ते गली में रहते हैं. कुत्ते गली में रहेंगे तो जाहिर है कि ये मरेंगे भी. लेकिन अक्सर इनकी मौत बहुत ही दर्दनाक होती है. इसलिए मुश्किल हालातों में किसी दुष्ट या अपराधी के मरने या पुलिस की गोली का शिकार होने पर लोग कहते है, वह कुत्ते की मौत मर गया या मारा गया. बाबा को यह सुन कर बड़ी दया आती  है. उन पर तरस आता है.
    फिर भी, यहाँ तक तो सब ठीक-ठाक है. हिंदी फिल्मों का एक नायक तो मौका मिलते ही चिल्ला-चिल्ला कर विलेन से  कहता रहता है, कुत्ते, कमीनेमैं तुम्हारा खून पी जाऊँगा, मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगा. सुनकर बाबा को शक है कहीं बचपन में उसे किसी कुत्ते ने  काट न खाया हो. कुत्ते की प्रति इतनी दुर्भावना क्यों? कुत्ता कुत्ता होता है, उसकी तुलना एक कमीना से नहीं की जा सकती. यह हो एक वफादार जानवर है, भले ही उसकी दुम टेढ़ी ही क्यों न हो, वह मनुष्य का एक परम मित्र है. किसी की महबूबा भले ही उसे धोका दे दे, एक कुत्ता अपने मालिक को कभी नहीं छोड़ता, दुःख हो या सुख, वह हमेशा साथ देता है.

     बेचारे कुत्ते कभी-कभी पागल भी हो जाते है. कहते हैं कि कुत्ता जब पागल हो जाता है तो उसे गोली मार दी जाती है. लेकिन बाबा ने न तो किसी पागल कुत्ते को देखा है और न उन्हें गोली मारे जाते हुए.
  पागल कुत्ते के काटने से जल-आतंक नामक लाइलाज एवं जानलेवा बिमारी हो जाती है. कुत्ते के काटने पर इस बिमारी से बचने के लिए कई इंजेक्शन लेने पड़ते है, जो बहुत ही महंगे और दर्द-भरे होते है. इसलिए कुत्तों से बच कर रहने में ही भलाई है.
   हमारे यहाँ के कुत्ते बारिश के मौसम के बाद कुछ हफ़्तों के लिए एकदम बेकाबू और असंयमी हो उठते है. शहर में तो वे स्वतंत्र होते ही हैं; गाँवों  में अपने मालिकों को छोड़कर जी-जान से कुत्तियों के पीछे दिन-रात पड़े रहते हैं, उनसे प्रणय-निवेदन करते है, अपने विशेष अंदाज़ में, मानो वे उनसे कहते हों, तो क्या लॉक कर दिया जाये? कुतियों से सहमति मिलने पर वे प्रणय क्रिया में लिप्त हो जाते है .उन्हें देख कर बाबा को पुराने जमाने का एक लोकप्रिय गाना याद आ जाता है,
    लागि छुटे न, अब तो सनम,
    चाहे जाए जियरा, तेरी कसम...
    जो सौभाग्यशाली नहीं होते वे एक मौका के लिए दुसरे कुत्तों से लड़ते रहते हैं! अंग्रेजी कुत्ते शायद इस मामले में अपने देशी बंधुओं जैसे भाग्यशाली नहीं होते. उन्हें अपने मालिकों या मालकिनो पर ही निर्भर रहना पड़ता है कि कब उन्हें उपयुक्त साथी के पास ले जाया जाए! क्योंकि उनके धुरंधर मालिकों को इन अंग्रेजी कुत्तों के भावी नस्ल यानि कि उनके "पेडिग्री (Pedigree)" की भी चिंता लगी रहती है. बाबा का निवेदन है कि ऐसे मौसम में कुत्तों को कभी भी बाँध कर नहीं रखना चाहिए, वर्ना ये कुत्ते आपको भौंक भौंक कर बद्-दुआ देंगे.. दुश्मन है  ज़माना...ठेंगे से....आजकल तो  अंतरजातीय विवाह भी धडल्ले से होने लगे हैं....तो पालतू अंग्रेजी कुत्तों के साथ से ये भेदभाव क्यों? बाबा के लिए यह एक ज्वलंत प्रश्न, यक्ष के एक कठिन प्रश्न की तरह मुंह बाएं खड़ा है !
    कुत्ता-कुत्तिया मिलन के करीब तीन महीने बाद कुतिया ५-७ अदद पिल्लों को जन्म देती है जो बहुत ही खूबसूरत लगते है! लेकिन हाय रे उनकी किस्मत ! मनुष्य कुत्ते के पिल्लै शब्दों को एक गाली के तौर पर ही उपयोग करते हैं. अंग्रेजी में तो और भी भद्दी गालियाँ हैं, जैसे Son of a bitch ! बहुत बे-इंसाफी है ! सरासर अन्याय है ! गनीमत है कि हमारे देश की एक महिला राजनीतिग्यं जानवरों की, शायद विशेषकर कुत्तों की हितों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं. यह कुत्तों की सुखद भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

    चाहे को भी हो, तुलनात्मक दृष्टि से यदि कुत्तों के गुणों और अवगुणों को देखा और परखा जाये, तो उनके गुण उनके अवगुणों पर भारी पड़ते है. भले ही उसकी दुम टेढ़ी ही रहती हो, भले ही यदा-कदा चाटता और काटता हो, कुत्ता एक बहुत ही शानदार जीव है, एक सुन्दर प्राणी है. उनके प्रति जो हमारी दुर्भावनाएं हैं, उन्हें हमें त्याग देनी चाहिए. कहते हैं कि घूरे के भी दिन फिरते है, कुत्तों के भी अच्छे दिन जरूर आयेंगे. अंग्रेजी में तो वैसे भी एक कहावत है, Every dog has its day !
    हमें ये कभी नहीं भूलनी चाहिए कि कुत्ता ही एकमात्र प्राणी है जो धर्मराज युधिष्ठिर के साथ सशरीर स्वर्ग गया था! मनुष्य के लिए तो मरकर भी स्वर्ग में जाने की कोई गारंटी नहीं है !
(समाप्त: लेखक- बाबा ताड़ीवाला.)

Tuesday 10 January 2012

मौसम हँसने का-२ !


  सड़क  एक पहाड़ी घाटी के पास स्थित गांव से होकर गुजरती थी जहां एक तीक्ष्ण मोड था. वहाँ पर अक्सर गाडियां दुर्घटनाग्रस्त होकर नीचे गहरी खाई में गिर जाती थीं.
  एक बार वैसी ही दुर्घटना होने पर टी.वी.चैनेल की एक टीम घटना स्थल पर पहुंची. रिपोर्टर ने वहीँ खड़े एक गाँव के व्यक्ति से पूछा,
 यहाँ अक्सर कार या अन्य गाडियां कितनी बार उलटती हैं?
 उलटती तो एक ही बार हैं. फिर दिखाई नहीं पड़ती. गाँव के आदमी ने जवाब दिया.

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 सम्मलेन के बाद नेता गण फोटो खिंचवा रहे थे. एक खतरनाक से दिखने वाले लेकिन दिलफेंक नेता ने एक महिला फोटोग्राफर से फ़िल्मी तर्ज़ पर पूछा.
 “मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगी, तुम मेरी तस्वीर लेकर?
 “सर, घर के बच्चे बहुत शैतानियाँ करते हैं,मेरी बातें नहीं सुनते हैं.ये तस्वीर दिखाकर मैं उन्हें डराऊँगी !

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 क़ानून के एक छात्र ने पढाई के समय कोलेज में प्रोफ़ेसर से पूछा, यदि यह शत प्रतिशत निश्चित हो कि कोई केस जितने की संभावना शून्य है, तो क्लाइंट से हम कैसे डील करेंगे?
आप उन्हें कह सकते हैं कि कानूनी सलाह के लिए आपको १०० या २०० रूपये, जो भी आपकी फ़ीस है, पहले देने पड़ेंगे. यदि वह रूपये दे दे तो आप उन्हें बता दें, कि यह केस जीता नहीं जा सकता है.
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 दिल्ली–नोएडा हाई-वे पर तेज़ी से कार चलाने के जुर्म में एक २१ वर्षीय युवक को रोका गया, और ट्रेफिक पुलिस के अधिकारी ने कहा,
गति सीमा से अधिक तेज चलाने के लिए आपको जुर्माना देना पड़ेगा, हम आप ही का इंतज़ार कर रहे थे.
 सर, इसी लिए मैं तेज़ी से यहाँ पहुंचा.
सुनकर मुस्कुराते हुए अधिकारी ने सिर्फ चेतावनी देकर उसे छोड़ दिया.

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  एक कम उम्र और बहुत ही खूबसूरत महिला लेक्चरर ने क्लास में एक लड़के को पास में बैठी एक लड़की से बात करते हुए देख लिया.
 आप क्लास में उससे क्या बात कर रहे है?
 मैं उससे सिर्फ एक प्रश्न पूछ रहा था. लड़के ने उत्तर दिया.
 आप वह प्रश्न सीधे मुझसे पूछ सकते हैं. लेक्चरर ने चेतावनी के लहजे में कहा.
 क्लास के बाद आज शाम क्या आप मेरे साथ कॉफी पीने जा सकती हैं?

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Tuesday 6 December 2011

Total Recall (2 New Added) : Ajit's Jokes




अजीत माइकेल से.,"माइकेल पिछ्ले दो-तीन सप्ताह सप्ताह, रॉबर्ट यहाँ नहीं था और उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया,.नाव यू टेल मी,व्हेर डिड ही गो?
माइकेल,"बॉस, वह अमेठी और रायबरेली गया था!"
अजीत,"स्मार्ट बॉय!"


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रॉबर्ट, बॉस,  दुश्मन का एक आदमी पकड़ा गया है, क्या उसे मौत के घाट उतार दूं?

अजीत,"नहीं, उसे सिर्फ "हाथ-पैर तोड़ने" के घाट उतारो."

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अजित ने रॉबर्ट से अपनी चिरपरिचित अंदाज में पूछा,
मैंने तुम्हें अल्फांसो को खत्म करने के लिए कहा था, व्हाट हेपेंड टू हिम?”
रॉबर्ट ने जवाब दिया,बॉस, मैंने उसे गहरी खाई के नीचे फेंक दिया है, वो अब भी गिर रहा होगा
बेवकूफ, यू मेड ए ग्रेट ब्लंडर, वो हमेशा.एंटीग्रेविटी सूट पहनता है! उसे पहाड़ से ऊपर की ओर फेंकना था.
(संशोधित रूप - सौजन्य श्री सुन्दर मनोज हेम्ब्रोम.)

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एक बार अजित जंगल के बीच से होकर रॉबर्ट के साथ कही जा रहा था. अचानक रॉबर्ट को एक मोर नज़र आ गया. उसने हर्षित होकर कहा,
बॉस, मोर !
अजित ने तुरंत अपना रिवॉल्वर निकाला और निशाना लगा कर मोर को गोली मार दी और कहा,
नो मोर !

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एक बार जब अजित की गाडी खराब हो गयी तो उसने उसे गैरेज में सर्विसिंग के लिए दिया. दो दिन बाद वह गैरेज में रॉबर्ट के साथ पहुंचा. गाडी बाहर ही खड़ी थी. वह तुरंत सामने का दरवाज़ा खोल कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. रॉबर्ट भी उसकी बगल में सामने की सीट पर ही बैठ गया. टेस्ट-ड्राइविंग के लिए अजित ने गाड़ी स्टार्ट की, गियर एक के बाद एक बदला और जोर से एक्सेलेटर को दबाया.
  बॉस गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है. रॉबर्ट ने कहा
  “डोंट बी सिली, स्पीड-मीटर देखो, ८० की.मी/घंटा की स्पीड है. अजित ने कहा
  बॉस,पीछे जैक लगा है
  कमबख्त, ये जैक कौन है? और पीछे क्यों लगा है? उसे गोली मार दो."

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आधी रात के पहले अजित  इस बार अपने दूसरे गुर्गे माइकेल के साथ समुद्र के किनारे एक समुद्री बोट के आने का इंतज़ार कर रहा था.बोट से सोना आने वाला था. काफी देर हो गई, आधी रात बीत चुकी, लेकिन वह समुद्री बोट नहीं पहुंचा. उसका कहीं भी कोई अता-पता नहीं.
  उकता कर माइकेल ने पूछा, बॉस, सोना कहाँ है?
 “कॉम ओंन, इतनी बड़ी बीच है, कहीं भी सो जाओ. अजित ने बिना किसी झल्लाहट के आराम से कहा.

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बॉस, दुश्मन पकड़ा गया है, उसे खत्म कैसे किया जाए? अजित के तीसरे गुर्गे पीटर ने पूछा.
“स्मार्ट बॉय, उसे तुम लिक्विड-ऑक्सीजन में डाल दो. लिक्विड उसे जीने नहीं देगी और ऑक्सीजन उसे मरने नहीं देगी. अजित  ने जवाब दिया.

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"रॉबर्ट, पीटर और माइकेल, लिली और मोना डार्लिंग, तुम दोनों भी साथ में जाओ और  बाज़ार के सारे सोने खरीद लो" अजित ने कहा.
"बॉस, सोना बहुत महंगा हो गया है, दाम आसमान छु रहा है" रॉबर्ट ने जवाब में उसे बताया.
"कोई बात  नहीं, तब तुमलोग सारा पारा खरीद लो"
"लेकिन पारा क्यों बॉस?" माइकेल ने पूछा
"वैरी स्मार्ट एंड इंटेलिजेंट क्वेस्चन, सोना के बाद पारा का नंबर है. सोना का एटोमिक नंबर 79 है, जबकि पारा का 80 है" अजित ने उन्हें बताया.  

Saturday 19 November 2011

Hold on, Jest a moment!


We have our superheroes Superman, Spiderman and Batman, who do you have?” asked an American kid to his Indian friend.
“Well, we have Hanuman, Shaktiman and Salman !” answered the Indian kid.




Once I heard a catholic priest saying, ” There are some people,  let us hope that they are not many!  Who claim to be Christians and they  go to church only three times in their entire  lives ; When they are HATCHED, MATCHED AND DISPATCHED.” !



As the autumn came, organizers of a race course decided to award the first prize to the horse finishing last in the race.
    When the starting shot was fired, not a single horse moved.  This was repeated again, result was the same; no movement. Quite naturally owners and the jockey of the horse wanted to finish last.
    Advice of an expert was sought for conducting the race successfully with the condition, .as decided.
    He advised,” Elementary my dear, just interchange the jockeys of every horse participating in the race!”

Thursday 17 November 2011

DNA


     In the olden days, for Rajas and Maharajas, it was a normal practice to visit their subjects occasionally alone in disguise or sometimes openly with their small troop and advisers to find out whether their countrymen were happy and in peace.
      Once, a very young Raja went to a village in the country side. For some reasons, he had to stay there at night with his troop. In the evening while talking to some villagers, he was very surprised to see a young farmer. Amazingly, his face, looks and built etc. were very similar to him.
    He called him and said smilingly, ”I am glad to see you. You look exactly like me. This is probably, because my father had stayed in this village for a night, some twenty five years ago!”
    The young peasant replied with a wry smile,” Maharaj, you may be correct, but during those days, my father was a servant in your father’s palace !”

Tuesday 15 November 2011

TAG











One subscriber of FB was frequently being tagged by his friends.
He did not find those very amusing. He sent messages to all 
such friends to desist from it.He said," I would rather share myself 
if I like some articles or photographs."

 Many of them asked, ”What’s wrong with it?”.

He replied, “I have a very weird feeling when I am tagged.”

He explained further. I know, in India, when a loan is granted 
to a borrower, the asset created out of the bank loan is to be
 insured. Bankers working in rural areas often finance live-stocks 
viz. cows, bullocks, buffaloes, or cattle in general to farmers.
 When insured, veterinary doctors put metal tags bearing 
numbers on the ears of such cattle for the insurance 
companies. 
Piercing ears with metal and hanging tags is painful; I suppose.

Friday 4 November 2011

SENSEX


       In the year 2008, there was a global meltdown in the financial sector and resultantly the stock market crashed throughout the world. Indices of stock markets plunged downward.  BSE, was no exception. SENSEX lost 1408 points in a single day on 21st January and the downward trend continued throughout the year. Baffled investors and traders lost huge sum of money and sadly some of them even lost their fortunes as Sensex came down from 22000 plus points to 8000 minus.
       During one of those days in Ranchi, one Jharkhand-Minister was addressing a press conference on some other issues. One journalist, wanted to have a dig about his concern for the stock market.
       He asked politely, ”Sir, there is a very rapid, uncontrolled and continuous downward fall in SENSEX for the past few months, investors and traders of Ranchi are also suffering because of this, what is your Government doing to arrest this falling?”
       The minister replied after some thoughts, सेंसेक्स तो क्या, हर सेक्स पर सरकार की पूरी नज़र है. दोषियों के विरुद्ध यथासंभव कानून की तहत कड़ी से कड़ी कारवाई की जायेगी. (Not only SENSEX, Govt. is having a close watch on all the SEXES; stern action will be taken against the culprits as per law.)