Thursday 27 October 2011

बल्ले,बल्ले!


हवाई सफर !
संटा सिंह पहली बार अपने मित्र प्रो.बंटा सिंह के साथ बार हवाई जहाज में सफर कर रहा था. दूसरे दोस्तों ने उसे बताया था कि प्लेन के अंदर बाहर की आवाज़ बिलकुल सुनाई  नहीं पड़ती है. यह पता ही नहीं चलता है कि प्लेन हवा में उड़ रही है और  ऊपर से जमीन की सभी चीजें छोटी-छोटी नज़र आती है. और तो और, लोग चींटी जैसे दीखते हैं.
    जब जहाज ने उड़ान भरी तो संटा सिंह ने खिडकी से झाँक कर नीचे देखने की कोशिश करने लगा, लेकिन बेचारे को बादलों के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ा. काफी देर कोशिश करने पर भी उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ा. अंत में वो सो गया.
   बहुत देर बाद जब उसकी नींद खुली तो उसने फिर खिडकी से झांक कर नीचे की ओर देखा. उसे देखकर बहुत हैरानी हुई की सचमुच बहुत सारे लोग चींटी जैसे लग रहे हैं. उसने साथ वाले सीट में बैठे मित्र प्रो.बंटा सिंह को झकझोर कर और  उल्लासित होकर कहा, बंटे, देखो देखो इतने सारे लोग ऊपर से कैसे चीटियों जैसे दिख रहे हैं और रेंगते हुए लग रहे हैं?
   प्रो.बंटा सिंह ने जवाब दिया, संटे, जो तुम देख रहे हो वो चींटी ही हैं! प्लेन लेंड कर चुका है और एअरपोर्ट पर खड़ी है, अब उतरने की तैयारी करो!
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सिरशाषन
संटा सिंह, जब भी मैं सिरशाषन करता हूँ तो रक्त सर पर जमा होने लगता है.लेकिन खड़े रहने पर वह पैरों में जमा नहीं होता.ऐसा क्यों?
   प्रो.बंटा सिंह, क्योंकि तुम्हारे पैर खोखले नहीं हैं. !
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      पेट्रोल की बचत !
संटा सिंह, बंटे, अपनी कार में तुम पेट्रोल की पूरी बचत कर सकते हो और पहले जैसा ही आराम से अपनी कार भी चला सकते हो.
   वो कैसे? प्रो. बंटा सिंह ने उत्सुकता पूर्वक पूछा.
   पेट्रोल कार की जगह तुम डीजल कार खरीद लो! संटा ने जवाब दिया.
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